Friday, October 12, 2018

आख़िर रफ़ायल पर कौन सच बोल रहा है?

रांस की कंपनी डासो एविएशन के रफ़ायल लड़ाकू विमान को लेकर भारत में विवाद गर्म हो गया है.
शुक्रवार कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा कि मोदी सरकार ने 36 रफ़ायल लड़ाकू विमान की ख़रीदारी में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है.
राहुल का कहना है कि सरकार इस सौदे की क़ीमत बताने से बच रही है जबकि सरकार का कहना है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते में गोपनीयता की शर्त के कारण वो क़ीमत को सार्वजनिक नहीं कर रही है.
क्या फ़्रांस के साथ हुए सौदे की क़ीमत इस क़दर गोपनीय है कि सार्जनिक नहीं की जा सकती? राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बात हुई थी और उन्होंने कहा कि इस समझौते में गोपनीयता जैसी कोई बात नहीं है. आख़िर रफ़ायल पर झूठ कौन बोल रहा है?
10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36 रफ़ायल लड़ाकू विमान ख़रीदने की घोषणा की थी. फ़ाइनैंशियल टाइम्सफ़ायल की क़ीमत को लेकर भारतीय मीडिया में विपक्ष की तरफ़ से समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. पहले की तुलना में ज़्यादा क़ीमत पर सरकार का कहना है कि डासो ने भारत में 108 फ़ाइटर जेट तैयार करने का वादा किया है.
इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाने के लिए पहले सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनौटिक्स लिमिटेड को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. यह काम उसे डासो के साथ मिलकर करना था, लेकिन बाद में इस कॉन्ट्रैक्ट को रिलायंस डिफेंस को दे दिया गया.
डासो एविएशन की वार्षिक रिपोर्ट
23 सिंतबर, 2016 को डासो एविएशन ने भारत के साथ राफ़यल सौदे को लेकर एक प्रेस रिलीज
इस सौदे की शर्तों पर दोनों देश चुप हैं. फाइनैंशियल टाइम्स से फ़्रांस के अधिकारियों ने कहा है कि यह एक गोपनीय सौदा है, इसलिए कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई जाएगी. भारतीय वायु सेना की वर्षों से सक्षम लड़ाकू विमान मुहैया कराने की मांग रही है.
एविएशन वीक की एक रिपोर्ट के अनुसार पहला रफ़ायल भारत के पास 2019 के आख़िर में आएगा और बाक़ी के 35 रफ़ायल 60 महीनों के भीतर आ जाएंगे. इनमें से 28 सिंगल सीट एयरक्राफ़्ट हैं जबकि 8 दो सीटों वाले हैं.
रफ़ायल को आधिकारिक रूप से परमाणु हथियारों से लैस नहीं किया गया है. ऐसा अंतरराष्ट्रीय संधियों के कारण किया गया है. हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत मिराज 2000 की तरह इसे भी अपने हिसाब से विकसित कर लेगा.
जारी किया. इसमें लिखा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल 2015 में फ़्रांस के दौरे पर आए थे और उन्होंने इस सौदे को अंतिम रूप दिया.
हालांकि प्रेस रिलीज में इस बात का ज़िक्र कहीं नहीं है कि यह सौदा कितने का है. इसके साथ ही इस प्रेस रिलीज में इस बात का भी उल्लेख नहीं है कि यह गोपनीय सौदा है और इससे जुड़ी जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
2016 में कहा गया है कि 31 दिसंबर 2016 तक 20 करोड़ तीन लाख 23 हज़ार यूरो के रफ़ायल लड़ाकू विमान के पुराने ऑर्डर थे जबकि 31 दिसंबर, 2015 तक 14 करोड़ एक लाख 75 हज़ार यूरो के ही ऑर्डर थे.
अख़बार से डासो कंपनी के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने फ़ोन पर कहा था कि इस सौदे दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा.

Thursday, October 4, 2018

रोहिग्या शरणार्थियों को वापस भेजने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर कानूनी अधिकारी तुषार मेहता ने कोर्ट से बताया कि म्यांमार सरकार ने इस बात को माना है कि वे उनके नागरिक हैं और उनको पहचान के लिए सार्टिफिकेट दिए हैं ताकि उनकी वापसी हो सके।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल तथा न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने यह आदेश दिया। 
गौरतलब है कि न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल कर केंद्र को असम के सिलचर में हिरासत केंद्र में बंद सात रोहिंग्याओं को म्यामां भेजने से रोकने का अनुरोध किया गया था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा था कि रोहिंग्या प्रवासियों को गुरुवार को मणिपुर में मोरे सीमा चौकी पर म्यामां अधिकारियों को सौंपा जाएगा। 
सात रोहिंग्याओं के प्रस्तावित निर्वासन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के अनुरोध वाली यह अंतरिम याचिका पहले से ही लंबित जनहित याचिका में दाखिल की गई।
दो रोहिंग्या प्रवासी मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर ने पहले जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा के कारण म्यामां से भागकर भारत आने वाले 40,000 शरणार्थियों को उनके देश भेजने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी थी।
असम के हिरासत शिविर में करीब 32 रोहिंग्या शरणार्थी है। इनमें से नाबालिग समेत करीब 15 रोंहिग्या शरणार्थी तेजपुर में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर म्यांमार के रखाइन राज्य के हैं जिन्हें साल 2014 में रेलवे पुलिस ने पकड़ा था।
भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या
पिछले कई वर्षों से हजारों की संख्या में म्यांमार के पश्चिमी तटवर्ती इलाके रखाइन में रहनेवाले रोहिंग्या मुसलमान पुलिस और कट्टरपंथी रोहिंग्या के बीच छिड़ी खूनी लड़ाई के चलते वहां से भागने के मजबूर हुए। ज्यादातर ये रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश गए लेकिन उनमें कुछ सीमा पार कर भारत आ गए। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ऐसा मानते हैं कि भारत में ऐसे शरणार्थियों की संख्या करीब 40 हजार है।
सुप्रीम कोर्ट ने महज कुछ घंटों बाद मणिपुर से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजे पर रोक लगाने से गुरुवार को साफ इनकार कर दिया। भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर म्यांमार प्रत्यर्पण का यह पहला मामला है।
वकील प्रशांत भूषण ने इस में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी और कहा था कि यह अदालत का कर्तव्य है कि वह राज्य विहीन रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा करे।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्रशांत भूषण से कहा कि उन्हें इस बात को याद दिलाने की कोई आवश्यता नहीं है कि जजों की क्या जिम्मेदारियां हैं। गृह मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर कहा था कि सात रोहिंग्या अपनी सजा पूरी करने के बाद वापस म्यांमार जाने को तैयार हैं। अवैध प्रवासी थे और उन्हें फॉरनर्स एक्ट में दोषी पाया गया था।